Uttarakhand

जानकी सेतु: पूरा हुआ ख्वाब, अब बस खुलने का इंतजार; इस दिन मिल सकती है सौगात

ऋषिकेश । तीर्थनगरी में मुनिकीरेती और स्वर्गाश्रम को जोड़ने वाले बहुप्रतीक्षित जानकी सेतु का निर्माण पूरा हो गया है। लोक निर्माण विभाग ने पुल की टेस्टिंग के बाद शेष बचे कार्यों को भी पूरा कर दिया है। हालांकि, अभी पुल को खोलने का दिन निश्चित नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि राज्य स्थापना दिवस पर तीर्थनगरी को जानकी सेतु की सौगात मिल जाएगी। 

गंगा नदी पर मुनिकीरेती (कैलाश गेट) और स्वर्गाश्रम (वेद निकेतन) के बीच जानकी सेतु का सपना वर्ष 2006 में झूलापुल के रूप में देखा गया था। तब इस झूला पुल के निर्माण पर करीब तीन करोड़ की लागत आ रही थी। इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने चार लाख की टोकन मनी भी जारी कर दी थी। मगर, कुछ समय बाद मामला ठंडा पड़ गया। बाद में भुवन चंद्र खंडूड़ी सरकार ने जानकी सेतु को झूला पुल के बजाय थ्री-लेन ब्रिज के रूप में तैयार करने की मंजूरी दी और इसकी लागत भी 33 करोड़ रुपये जा पहुंची।वर्ष 2014 में 346 मीटर लंबे व चार मीटर चौड़े इस थ्री-लेन ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हुआ, जिसे 31 मार्च 2016 तक पूरा होना था। मगर, निर्माण एजेंसी ने रिवाइज बजट न मिलने पर काम रोक दिया, जिससे पुल फिर दो वर्ष तक अधर में लटका रहा। दिसंबर 2008 में पुन: रिवाइज बजट 48.8 करोड़ मंजूर करते हुए पुल को अक्टूबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। हालांकि, कार्य करीब एक वर्ष के विलंब से पूर्ण हो पाया।रामझूला पुल पर कम होगा दबाव टिहरी और पौड़ी जिले को जोड़ने वाले जानकी सेतु के निर्माण के बाद तीर्थनगरी में गंगा के दोनों ओर रहने वाली बड़ी आबादी को इसका लाभ मिलेगा। वहीं, रामझूला पुल पर भीड़ बढ़ने से पड़ने वाला दबाव भी कम होगा। करीब एक वर्ष पूर्व लक्ष्मणझूला पुल के बंद होने के बाद रामझूला पुल पर अत्याधिक दबाव बढ़ गया है। लोनिवि नरेंद्रनगर मो. आरिफ ने बताया कि जानकी सेतु का शत-प्रतिशत काम पूरा हो गया है। भार क्षमता की टेस्टिंग के बाद रंग-रोगन और पुल की साफ-सफाई भी कर दी गई है। पुल के उद्घाटन का निर्णय शासन स्तर पर होना है। उम्मीद है कि पुल पर जल्द आवाजाही शुरू हो जाएगी।कृषि मंत्री और विधायक नरेंद्रनगर सुबोध उनियाल ने बताया कि जानकी सेतु के लिए अब जनता को अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। शीघ्र पुल के उद्घाटन की तिथि फाइनल हो जाएगी। यह पुल तीर्थनगरी क्षेत्र को एक नई पहचान देने वाला है। पर्यटन, तीर्थाटन और व्यापार को भी इससे बड़ा लाभ होगा। 

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