Uttarakhand

सीएम धामी ने लिया पौड़ी का गौरव लौटाने को अभी तक का सबसे मुश्किल संकल्प

देहरादून। मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने अभी तक का सबसे मुश्किल संकल्प लिया है। इस सकंल्प को मुश्किल इसीलिए बताया जा रहा है, क्योंकि पांच मुख्यमंत्री, कई केंद्रीय मंत्री, उत्तराखंड के कई कैबिनेट मंत्री इसे पूरा नहीं कर पाए। बल्कि साल दर साल पौड़ी जिला अपनी चमक खोता चला गया। उसकी रौनक जाती रही। सन्नाटा पसरता चला गया। अब इस सन्नाटे को तोड़ने का संकल्प अब सीएम धामी ने लिया है। किसी सीएम के रूप में पहली बार पौड़ी में रात गुजार कर उन्होंने अपने इस संकल्प को लेकर प्रतिबद्धता भी जाहिर कर दी है।
कहने को पौड़ी गिनती उत्तराखंड के वीवीआईपी जिलों में होती है। ब्रिटिश काल से ही पौड़ी कमिश्नरी रही। राजनीतिक लिहाज से भी ये जिला हाई प्रोफाइल रहा। यूपी के जमाने से लेकर अभी तक इस जिले ने पांच सीएम दिए हैं। कैबिनेट मंत्रियों, दर्जाधारियों की तो गिनती करते करते थक जाएंगे। इसके बावजूद पौड़ी जिले के साथ न्याय नहीं हो पाया। राज्य गठन के बाद तो प्रदेश के सबसे अधिक पलायन और विकास से पिछड़े जिलों के रूप में पौड़ी अव्वल रहा। पूर्व में किए गए तमाम प्रयासों के असफल होने के बाद अब सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पौड़ी को उसका पुराना गौरव लौटाने का संकल्प लिया है।
सीएम रहते हुए किसी भी नेता ने एकरात तक पौड़ी में रात गुजारने की जहमत नहीं उठाई। जबकि पौड़ी इन सभी नेताओं का गृह जनपद रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी पहले ऐसे सीएम रहे, जिन्होंने पौड़ी में रात गुजारी। रात भी पौड़ी सर्किट हाउस की बजाय रावत गांव के एक होम स्टे में गुजार कर बड़ा संदेश दिया। सुबह उठते ही पौड़ी के गांवों की पंगडंडियों पर सैर को निकल पड़े। कहीं दीदी, बौड़ा, बौड़ी का आशीष लिया। तो युवाओं से बात कर उनमें आत्मविश्वास पैदा किया। दो दिन के अपने पौड़ी प्रवास के दौरान आम जनता से दूरी बनाने की बजाय एक एक समूह से अलग अलग मिल कर गंभीरता से उनकी बात को सुना।
देहरादून लौटने पर भी उनके जेहन से शायद पौड़ी नहीं निकल पाया। उन्होंने अफसरों से तत्काल पौड़ी के विकास को लेकर प्लान मांगा। किस तरह पौड़ी को उसका गौरव लौटाया जा सकता है, इस दिशा में काम करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव को भी अफसरों से पौड़ी के विकास की कार्ययोजना तैयार कर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। सीएम धामी का ये प्रयास उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है, जो उत्तराखंड की सियासत को गढ़वाल कुमाऊं के बीच बांटने की साजिश रचते हैं। लोगों के मन में जहर भरते हैं। पौड़ी प्रवास के दौरान आम जनता से मिले प्यार से साबित हो गया कि सीएम धामी को प्यार करने वाले राज्य के किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अस्कोट से आराकोट तक उनके जनसमर्थन का दायरा फैला हुआ है। 2022 के विधानसभा में भाजपा को मिली प्रचंड विजय भी इस बात का सबसे बड़ा सबूत है।

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