Uttarakhand

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं की बढ़ रही मुसीबत

देहरादून । राजधानी दून में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने से मुसीबतें भी बढ़ती जा रही हैं। सबसे अधिक मुसीबतों का सामना गंभीर रूप से पीड़ित उन मरीजों को करना पड़ रहा है, जिन्हें भर्ती होने के लिए अस्पतालों में बेड और आइसीयू उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। अब ऐसी ही मुसीबत कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के सामने भी आ सकती है। दरअसल, दून महिला अस्पताल के अलावा अभी कहीं उनके इलाज की व्यवस्था नहीं है।

 पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मामले देहरादून में आ रहे हैं। संक्रमण के बढ़ते मामलों को देख प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी उसी के अनुरूप व्यवस्था जुटाने में लगा है। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आइसीयू बेड बढ़ाए जा रहे हैं, वहीं कोविड केयर सेंटरों में ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा है। कुछ निजी अस्पतालों को भी कोरोना मरीजों के उपचार की अनुमति पूर्व में दी गई है। लेकिन, अब संक्रमित गर्भवती महिलाओं के लिए भी व्यवस्था बढ़ानी होगी, क्योंकि अभी केवल दून महिला अस्पताल में ही कोरोना पीड़ित गर्भवती के इलाज किया जा रहा है। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि दून अस्पताल के कोविड-हॉस्पिटल बन जाने के बाद से सामान्य डिलिवरी गांधी अस्पताल में की जा रही हैं, जबकि क्रिटिकल केस अनुबंध के तहत पटेलनगर स्थित निजी अस्पताल रेफर किए जा रहे हैं। जहां के चिकित्सा अधीक्षक ने अब मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र भेजकर कहा कि उनके अस्पताल के लेबर रूम और वार्ड में फिलहाल ऐसी व्यवस्था नहीं है कि कोरोना संक्रमित गर्भवती का भी साथ में इलाज या डिलीवरी कराई जा सके। ऐसे में अस्पताल में सामान्य केस ही रेफर किए जाएं। जबकि संक्रमित महिलाओं को दून महिला अस्पताल ही भेजा जाए। इसके अलावा जो गर्भवती अस्पताल में संक्रमित पाई जा रही है, उन्हें भी दून महिला अस्पताल में ही शिफ्ट किया जा रहा है। उधर, दून अस्पताल के डिप्टी एमएस और महिला विंग की जिम्मेदारी देख रहे डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि महिला विंग में इस समय 70 बेड तक की क्षमता है। उनके यहां अभी 23 गर्भवती महिलाएं भर्ती है। जिनका विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में उपचार चल रहा है। गांधी अस्पताल में संक्रमित मिल रही गर्भवतियों को यहीं पर भर्ती किया जा रहा है। वहीं, दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि व्यवस्थाएं बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन समन्वय स्थापित कर काम कर रहे हैं। संक्रमित गर्भवतियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। अस्पताल में बेड बढ़ाने की जरूरत पड़ी तो वह भी बढ़ाए जाएंगे।

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