Uttarakhand

बुजुर्ग दंपती ने सिखाया सेवा का भाव

देहरादून। दान वह होता है, जिसकी भनक देने वाले के दूसरे हाथ को भी न लगे। ऐेसे ही एक बुजुर्ग दंपती शनिवार को ई-रिक्शा से एसएसपी कार्यालय पहुंचे और एसएसपी के पीआरओ को एक पोस्टकार्ड के साथ दस हजार मास्क, दस लीटर सैनिटाइजर, दूध के कुछ पैकेट और आटे के बैग थमा दिए। पीआरओ ने बुजुर्ग से नाम आदि पूछा तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि कृपया यह सब जरूरतमंदों तक पहुंचा दीदेहरादून, सोबन सिंह गुसांई। दान वह होता है, जिसकी भनक देने वाले के दूसरे हाथ को भी न लगे। ऐेसे ही एक बुजुर्ग दंपती शनिवार को ई-रिक्शा से एसएसपी कार्यालय पहुंचे और एसएसपी के पीआरओ को एक पोस्टकार्ड के साथ दस हजार मास्क, दस लीटर सैनिटाइजर, दूध के कुछ पैकेट और आटे के बैग थमा दिए। पीआरओ ने बुजुर्ग से नाम आदि पूछा तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि कृपया यह सब जरूरतमंदों तक पहुंचा दीजिएगा। इतना कहकर दंपती उसी ई-रिक्शा में एसएसपी कार्यालय से ओझल हो गया। पीआरओ ने जब यह बात डीआइजी को बताई तो वह भी आश्चर्य में पड़ गए। पोस्टकार्ड में बुजुर्ग ने डीआइजी की सराहना करते हुए उन्हें सुखद भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। इस पुनीत कार्य से बुजुर्ग दंपती ने उन लोगों को भी संदेश दिया, जो दान से ज्यादा उसका ढिंढोरा पीटते हैं। जरूरतमंदों को दान देने के नाम पर फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर डालते हैं।जिएगा। इतना कहकर दंपती उसी ई-रिक्शा में एसएसपी कार्यालय से ओझल हो गया। पीआरओ ने जब यह बात डीआइजी को बताई तो वह भी आश्चर्य में पड़ गए। पोस्टकार्ड में बुजुर्ग ने डीआइजी की सराहना करते हुए उन्हें सुखद भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। इस पुनीत कार्य से बुजुर्ग दंपती ने उन लोगों को भी संदेश दिया, जो दान से ज्यादा उसका ढिंढोरा पीटते हैं। जरूरतमंदों को दान देने के नाम पर फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर डालते हैं।

कोरोना का खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है और दून में अधिकांश लोग लापरवाही करने लगे हैं। घर से बाहर शारीरिक दूरी का पालन न करना और बिना मास्क सड़कों पर घूमना तो यही दर्शाता है कि शहरवासियों के दिल में कोरोना का खौफ नहीं रह गया। जबकि असलियत यह है कि दून में संक्रमण का खतरा अब पहले से कहीं ज्यादा है। यह हाल तब है, जब पुलिस बिना मास्क घूमने वालों पर रोजाना कार्रवाई कर रही है। हर रोज 400 से 500 चालान काटे जा रहे हैं, बावजूद इसके लोग समझने को तैयार नहीं हैं। अगर हमने अभी इस महामारी को गंभीरता से नहीं लिया तो वह दिन दूर नहीं जब दोबारा शहर को लॉकडाउन करना पड़ेगा। कई देशों में यह स्थिति आ चुकी है। इसलिए अब बचकानी बहादुरी नहीं समझदारी दिखाने की जरूरत है। अभी नहीं संभले तो आने वाले दिनों में हालात भयावह हो सकते हैं।

 

रोजगार को फिर चले बेगाने शहर

लॉकडाउन के दौरान बाहरी प्रदेशों में फंसे उत्तराखंड के नौजवान कई मुश्किलें मोल लेकर अपने घर तक तो पहुंच गए। लेकिन, सूबे में बेरोजगारी का बोझ बढ़ता देखकर वह दोबारा वापसी की राह पकडऩे को मजबूर होने लगे हैं। वजह यह कि सरकार की स्वरोजगार योजना केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित होकर रह गई है। इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे हजारों नौजवान रोजी-रोटी की खातिर दोबारा पलायन का मन बना रहे हैं। सरकार के पास पलायन रोकने का यह अच्छा समय था, लेकिन सरकार की कार्य योजनाएं अब तक केवल कागजों पर ही सिमटी हुई हैं। जब तक ये योजनाएं जमीनी स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे बेरोजगारों तक नहीं पहुंचतीं, तब तक प्रदेश से पलायन रोक पाना मुश्किल होगा। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। साथ ही राज्य में सभी को रोजगार देने के लिए उत्तम नीति तैयार करनी होगी।

अनलॉक 3.0 में बढ़ानी होगी मुस्तैदी

अनलॉक का तीसरा चरण शुरू हो गया है। स्कूल, कॉलेज आदि को छोड़कर तकरीबन सभी गतिविधियां शुरू हो गई हैं। ऐसे में अपराध में बढ़ोत्तरी की संभावना भी बढ़ गई है। प्रेमनगर में शराब ठेके के सेल्समैन पर शनिवार रात हुई फायरिंग और रायपुर में पीएनबी का एटीएम लूटने की कोशिश इसी के उदाहरण हैं। ऐसे में पुलिस को और भी मुस्तैद होने की जरूरत है। लॉकडाउन के बाद शहर में चोरी की घटनाएं तो पहले ही बढ़ गई थीं। अब लूटपाट और डकैती की वारदातों से भी इनकार नहीं किया जा सकता। खुफिया विभाग भी अपराध बढऩे को लेकर अलर्ट कर चुका है। पुलिस के सामने कानून व्यवस्था बनाए रखने के अलावा भी कई चुनौतियां हैं। इनमें लॉकडाउन से लेकर अब तक हुए मुकदमों के वांछितों को गिरफ्तार करना, जेल में कोरोना संक्रमित बंदियों के साथ राज्य में बाहर से आने वालों पर नजर रखना भी शामिल है।

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